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हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भगवान शनि का जन्मोत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि शनि देव को न्याय और कर्म के देवता माना जाता है। इस मौके पर शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-आराधना और मंत्रों का जाप किया जाता है। इंसान जैसे कर्म करता है भगवान शनिदेव व्यक्ति को उसके अनुसार ही फल प्रदान करते हैं। इसलिए शनिदेव की कृपा पाने के लिए यह दिन बहुत ही विशेष माना गया है।
जिन लोगों के जीवन में शनि संबंधी कोई दोष,साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप चल रहा हो! उनके लिए इस दिन पूजा आराधना करना विशेष लाभ प्रदान करता है। शनि जयंती पर पूजा-अर्चना, दान-पुण्य और जप करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। इस बार शनि जयंती पर दुर्लभ संयोग भी बना रहा है। आइए जानते हैं इस शनि जयंती पर क्या ख़ास होने वाला है?
दरअसल 30 वर्षों के बाद शनि जयंती और सोमवती अमावस्या एक साथ आ रही हैं। सोमवार तिथि पर पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या खा जाता है। इसके साथ ही इस दिन वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। इस सोमवती अमावस्या को कृतिका नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि के योग में शनि जन्मोत्सव का पर्व मनाना काफी खास माना जा रहा है। ज्येष्ठ माह की इस अमावस्या पर शनिदेव स्वयं की राशि कुंभ में ही रहते हैं। इस प्रकार शनि जयंती का महत्व और भी अधिक हो जाता है।